घटना के बाद घटनास्थल का दौरा किया था। प्रभावित छात्रों के अभिभावकों, स्थानीय लोगों से बातचीत कर जानकारी ली थी। स्पष्ट था कि पानी छोड़ने से पूर्व लारजी प्रबंधन ने कोई चेतावनी नहीं दी थी और न ही कोई सायरन बजाया था, पर मुख्यमंत्री जिम्मेदारी से पीछे हट गए थे।
धूमल ने कहा कि माननीय न्यायालय को प्रस्तुत रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली और असंवेदनशीलता भी सार्वजनिक हो गई है। मुख्यमंत्री ने सारे मामले में जिस प्रकार की संवेदनहीनता दिखाई और गलत बयान दिए वह शर्मनाक हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जांच पूरी होने से पहले ही आनन-फानन में परियोजना प्रबंधन और कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी। बयान दिया कि डैम प्रबंधन ने हूटर का इस्तेमाल किया और प्रशासन भी समय पर पहुंच गया था। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुका है कि दोनों बयान गलत और गैर जिम्मेदाराना थे।
धूमल ने कहा कि परियोजना प्रबंधन ने पानी छोड़ने की तय मात्रा से कई गुणा अधिक पानी एकदम छोड़ा, जो कि कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा करता है।